Akbar Birbal Story in Hindi : जादू की लकड़ी | नैतिक कहानियाँ
Akbar Birbal Story in Hindi : जादू की लकड़ी | नैतिक कहानियाँ
एक बार एक बहुत बड़े व्यापारी के यहाँ चोरी हो गयी | चोर ने उस व्यापारी के यहाँ से सारा धन, जेवर आदि सब कुछ चुरा लिया | व्यापारी ने चोरी की शिकायत दीवान साहब से की | बहुत दिनों तक खोज बीन करने के बाद भी दीवान साहब चोर को पकड़ नही सके |
व्यापारी परेशान होकर बादशाह के दरबार मे फरियाद करने पहुँच गया | बादशाह अकबर ने व्यापारी की बात सुनकर तुरंत बीरबल को चोर को पकड़ने का आदेश दे दिया |
बीरबल ने व्यापारी को बुलाकर पूँछा – अगर तुम्हे किसी पर शक है तो मुझे बता दो, घबराना नही तुम्हे तुम्हारा सारा सामान मैं वापस दिला दूंगा |
व्यापारी को बीरबल की बातो से थोड़ी सी रहत मिली | व्यापारी ने कहा – महाराज ! मुझे लगता है कि घर के नौकरों ने मिलकर यह काम किया है, क्योंकि बाहरी आदमी तो कोई भी घर में आता ही नही है |
लेकिन महाराज ! मैंने किसी को भी अपनी आँखों से चोरी करते हुए नही देखा है, इसलिये मैं किसी का नाम नही ले सकता | बीरबल ने तुरंत अपने सिपाहियों को भेजकर व्यापारी के यहाँ से सभी नौकरों को बुला लिया |
फिर उन्होंने सिपाही से सामान आकर की बहुत सारी लकड़ी मंगवाई | उसके बाद मंत्र पढने का ढोंग करके सभी नौकरों को एक-एक लकड़ी दे दी और कहा – आज रात को ये लकड़ियाँ तुम लोग अपने-अपने पास ही रखो |
कल सुबह लाकर ये लकड़ियाँ तुम सभी को मुझे दिखानी है | तुम लोगों मे से जो कोई भी चोर होगा या उसकी मदद से चोरी हुई होगी उसकी लकड़ी अपने आप एक इंच बड़ी हो जायेगी |
बीरबल के हुक्म से सिपाही ने सभी नौकरों को अलग-अलग कमरे मे रखा और उनकी देख-रेख के लिये एक-एक सिपाही भी नियुक्त कर दिया | उन नौकरो मे से एक नौकर ने सच में व्यापारी के यहाँ चोरी की थी |
वह बहुत डर गया था और उसने मन मे सोचा कि अगर उसकी लकड़ी सुबह तक एक इंच बड़ी हो गयी तो वह पकड़ा जायेगा, उसने दिमाग लगाया कि अगर मे इस लकड़ी को पहले से एक इंच काट दूंगा तो यह सुबह तक फिर से सबकी लकडियों के बराबर हो जाएगी |
इस प्रकार बीरबल भी मुझे पकड़ नही पाएंगे | यह सोचकर उसने तुरंत अपनी लकड़ी को चुपके से एक इंच काट दिया और फिर आराम से चादर तान के सो गया |
बीरबल तो बीरबल है, यह तो सिएर्फ़ उनकी चाल थी | भला कही लकड़ी भी अपने आप रातों-रात बड़ी हो सकती है |
अगले दिन सभी को दरबार मे बुलाया गया | बीरबल ने सबकी लकडियों को देखा | उन्होंने जब असली चोर की लकड़ी देखी तो वह पहले से एक इंच छोटी थी |
बीरबल पहले तो उस चोर को अकेले मे लेजाकर उससे कहा – मैं जानता हूँ कि चोरी तुम्ही ने की है, अगर तुम मुझे सच-सच बता दोगे कि धन कहाँ छुपाया है तो मैं तुम्हे सजा से बचा लूँगा, नही तो महाराज तुम्हे सौ कोड़े मरने का दण्ड देंगे |
मार खाने के डर से चोर ने कबूल कर लिया की चोरी उसी ने की है और उसने वह जगह बता दी जहाँ पर उसने सारा धन और जेवर छुपा रखे थे | सिपाही तुरंत जाकर उस जगह से सारा धन बरामद कर लिया |
बीरबल ने सारा धन उस व्यापारी को सौंप दिया | उस व्यापारी को उसका सारा धन मिल गया, वह बहुत खुश हुआ | व्यापारी ने बीरबल का धन्यवाद देते हुए कहा – अगर मुझे चोरी हुआ धन नही मिलता तो मैं आत्महत्या कर लेता |
बीरबल ने व्यापारी को सारा सामान सौंप कर उसे आश्वाशन दिया कि वे उसकी मदद के लिये हमेशा तैयार है |
बादशाह अकबर यह सब देख रहे थे | वे बीरबल की बुद्धिमानी से बहुत प्रसन्न थे, उन्होंने बीरबल को शाबाशी दी और उस चोर को दण्ड स्वरूप सौ कोड़े मरने का दण्ड सुनाया |
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