Akbar-Birbal Moral Story : चौथे मूर्ख आप
Akbar-Birbal Moral Story : चौथे मूर्ख आप
एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल को आदेश दिया कि वह अपने राज्य से चार सबसे बड़े मूर्खों को ढूँढकर लाये |
बीरबल महारज की आज्ञा लेकर मूर्खो को ढूँढने निकल पड़े |
बीरबल सारा दिन अपने राज्य मे घूमते रहे लेकिन उनको कोई भी मूर्ख नही मिला |
ढूँढ़ते-ढूँढ़ते रात हो गयी, तभी उन्होंने सड़क किनारे एक आदमी को खम्बे की रोशनी मे कुछ ढूँढ़ते हुए देखा |
बीरबल ने उसके करीब जाकर पूँछा – आप क्या ढूंढ रहे है ?
आदमी ने कहा – मेरा एक रुपया खो गया है महाराज, बस उसी को ढूंढ रहा हूँ |
बीरबल ने पूँछा – कहा खोया था ? आदमी ने कहा – वहां उस पेड़ के नीचे |
बीरबल ने कहा – तो फिर, वहां क्यों नही ढूंढ रहे हो ?
आदमी बोला – वहां कितना अँधेरा है, वहां मुझे वो कैसे मिलेगा ?
बीरबल समझ गए कि मुझे पहला मूर्ख मिल गया |
बीरबल ने उसे रुपये का लालच देकर अपने साथ ले आये |
वे थोड़ी दूर ही चले थे कि उन्हें एक घुड़सवार दिखाई दिया |
वह घोड़े पर बैठा चला आ रहा था और उसने अपने सर पर कपडे की पोटली रखी हुई थी |
बीरबल ने उसके पास जाकर उससे पूँछा – तुमने ये कपड़ो की पोटली सर पर क्यों राखी हुई है ?
तुम इसे घोड़े पर क्यों नही रख देते ?
घुड़सवार ने कहा – घोडा बहुत कमजोर है महाराज ! इसलिये ये पोटली मैने अपने सर पर रख रखी है |
फिर उसने बड़ी ही मासूमियत से कहा – महाराज ! अब आप ही बताइए कि जब ये बेचारा मेरा वजन ही नही संभाल पा रहा है
तो फिर मेरी पोटली का वजन भी इस पर रख दूंगा तो इसकी क्या क्या हालत होगी ? ये तो बेचारा मर ही जायेगा |
बीरबल उस आहा अकलमन्द को देखकर समझ गए कि मुझे दूसरा मूर्ख भी मिल गया है |
तभी उस आदमी ने अपनी पोटली जमीन पर फेक दी,
और घोड़े से कूदकर बोला – महाराज ! आदाब बजा लाता हूँ |
बीरबल ने कहा – ठीक है – ठीक है, तुम हमारे साथ चलो ! हम तुम्हे नया घोडा दिलवा देंगे |
बीरबल उन दोनों को लेकर बादशाह के पास पहुँचे और फिर उन्होंने विस्तार से महाराज को सारी कहानी सुनाई |
बादशाह ने कहा – ठीक है बीरबल ! मगर हमने तुमसे चार मूर्ख लाने के लिये कहा था,
लेकिन तुम तो दो ही लेकर आये हो |
बीरबल बोले – महाराज ! बाकी के दो मूर्ख भी यही है |
बादशाह अकबर चौंककर इधर-उधर देखने लगे, मगर वहां पर उन दोनों के अतिरिक्त और कोई होता तो दिखाई देता |
वे उलझन मे पड़ गए और बोले – बीरबल ! कहाँ है बाकी के दो मूर्ख ?
बीरबल ने कहा – क्षमा करें महाराज ! तीसरा मूर्ख मे हूँ जो ये बेकार का काम कर रहा हूँ |
महाराज ने तुरंत पूँछा – और चौथा ?
चौथे मूर्ख आप हैं जो मुझसे ऐसे काम करवा रहे है |
बीरबल की बात सुनकर बादशाह अकबर जोर जोर से हँसने लगे |
अंत मे उन्होंने उन दोनों मूर्खो को इनाम देकर भेज दिया |
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