चतुर बंदर की कहानी, बच्चों की मजेदार कहानी | Bachcho Ki Kah
आज हम बच्चों को सुनाने वाले है चतुर बंदर की कहानी, बच्चों की मजेदार कहानी
चतुर बंदर
एक झील के किनारे एक जामुन का पेड़ था | उस पेड़ पर एक बंदर रहता था और उसी झील मे एक मगरमक्ष भी रहता था | मगरमक्ष रोज बंदर को उछलते – कूदते देखता था |
एक दिन मगरमक्ष झील मे से निकलकर पेड़ के पास आ गया| बंदर मगरमक्ष को देखकर बहुत खुश हुआ और दोनों मे दोस्ती हो गयी |
बंदर रोज पेड़ से मीठे -मीठे जामुन तोड़कर बंदर को देता था | मगरमक्ष कुछ जामुन खा लेता था और कुछ अपनी पत्नी के लिये ले जाता था |
एक दिन मगरमक्ष की पत्नी बोली कि “आप इतने मीठे जामुन कहाँ से लाते हैं ” मगरमक्ष ने कहा कि झील के किनारे मेरा एक दोस्त बंदर जामुन के पेड़ पर रहता है, वही रोज मुझे जामुन देता है |
यह सुनकर मगरमक्ष की पत्नी ने कहा कि “जब वो बंदर इतने मीठे फल खाता है तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा” और वह बंदर का कलेजा खाने की जिद करने लगी |
मगरमक्ष के बहुत समझाने पर भी वो नही मानी और मगरमक्ष की पत्नी ने मगरमक्ष को बंदर का कलेजा लेन के लिये मना ही लिया |
मगरमक्ष बंदर का कलेजा लेने के लिये उसके पास गया और बोला – दोस्त आज मेरे घर पर दावत है; और मेरी पत्नी ने तुम्हे खाने पर बुलाया है |
बंदर यह सुनकर बहुत खुश हुआ और उसने कहा कि ” मगर मुझे तैरना नही आता है ” तो मे कैसे तुम्हारे साथ आऊंगा? मगरमक्ष ने कहा कि मे तुम्हे अपनी पीठ पर बैठालकर ले चलूँगा |
अब दोनों तालाब मे जा रहे थे, बीच रस्ते मे मगरमक्ष ने कहा “मुझे तुम्हारे मारने का बड़ा ही दुःख है” लेकिन मे क्या करू मेरी पत्नी ने तुम्हारा कलेजा खाने के लिये माँगा है |
इस पर बंदर ने कहा कि अरे यार पहले क्यों नही बताया ! मैं तो अपना कलेजा पेड़ पर ही रख आया हूँ और वह वापस पेड़ पर आ गया | फिर बंदर ने मगरमक्ष से कहा कि – भला कलेजा भी कोई पेड़ पर रखता है |
धोखेबाज मगरमक्ष भाग जा यहाँ से और यहाँ कभी मत आना | इस तरह से बंदर ने चतुराई से अपनी जान बचायी |
बच्चों की मजेदार कहानी से सीख : बुद्धिमानी की सदैव जीत होती है और लालच का फल हमेशा बुरा होता है |
लड़ती बकरियां और सियार
एक समय की बात है | जंगल मे दो बकरियां आपस मे लड़ाई कर रही थी | उसी समय वह से गुजर रहे एक साधू ने दोनो बकरियों को आपस मे लाड़ते हुए देखा और वो वही रुक गया |
साधू ने दखा कि दोनों बकरियों को आपस मे लड़ते हुए बहुत देर हो गयी है और वो रुकने का नाम ही नही ले रही है | तभी वहाँ एक भेड़िया आ गया, भेड़िया बहुत भूखा था |
भेड़िये ने जब दोनों बकरियों को आपस मे लड़ते देखा तो उसके मन मे एक ख्याल आया कि क्यों न में इन दोनों बकरियों को मारकर खा जाऊ और अपनी भूख मिटा लूँ | लेकिन बकरिया अपनी लड़ाई ख़तम करने का नाम ही नही ले रही थी | लड़ते लड़ते उनके शरीर पर बहुत चोट भी लग गयी थी |
यह देखकर भेड़िये की भूख और बड गयी और वह धीरे – धीरे बकरियों के पास जाने लगा | दूर खड़ा साधु यह सब देख रहा था, जब साधू ने भेड़िये को उन दोनों बकरियों के पास जाते देखा तो वह सोचने लगा कि अगर वह उनके पास गया तो उसे बहुत चोट लग सकती है | साधू भेड़िये को रकने की सोच ही रहा था कि तभी भेड़िया उन दोनों बकरियों को खाने उनके पास चला गया |
बकरियों ने जैसे ही भेड़िये को अपने पास आते देखा उन्होंने आपस मे लड़ना छोड़कर उस भेड़िये पार हमला कर दिया | अपने ऊपर अचानक हुए हमले को देखकर भेड़िये कुछ समझ ना सका और उसे अपनी जान बचाकर वह से भागना पड़ा|
भेड़िये को भागता देखकर बकरिया भी अपनी लड़ाई भूल गयी और वह अपने घर जाने लगी | अब उनको समझ मे आ गया कि हमें कभी भी आपस मे नही लड़ना चाहिए | यह सब देखकर साधू भी अपने घर लौट गया |
बच्चों की मजेदार कहानी से सीख: हमें कभी भी आपस मे नही लड़ना चाहिए |
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